संपूर्ण विश्व में श्रेष्ठतम बने भारत
   

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विचाराधारा, संघ के उद्देश्य, संघ द्वारा की जाने वाली राष्ट्र की परिकल्पना, संघ पर मीडिया के एक धड़े द्वारा लगाए जाने वाले आरोपों, विपक्षी दलों द्वारा संघ को लेकर की जाने वाली राजनीति जैसे तमाम मुद्दों पर पंजाब केसरी के मुख्य संवाददाता सतेंद्र त्रिपाठी, प्रमुख संवाददाता आदित्य भारद्वाज से संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख मनमोहन वैद्य ने विशेष बातचीत की। प्रस्तुत है उनसे की गई बातचीत के प्रमुख अंश:-

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ विश्व का सबसे बड़ा संगठन है, संघ की स्थापना के 90 वर्ष पूरे हो चुके हैं, किस तरह की अनुभूति होती है ?
- अनेक विरोध, अवरोध, बाधाओं को पार करता हुआ संघ कार्य लगातार, सतत बढ़ रहा है। समाज में इसकी स्वीकृति, स्वागत, समाज का सहकार, सहयोग, सहभाग तथा समर्थन भी बढ़ रहा है। इसमें कोई दोराय नहीं कि संघ कार्य का लगातार विस्तार हो रहा है। आज इतने वर्षों बाद देश की परिस्थिति और समस्याएं देख कर लगता है कि संघ कार्य में ऐसी बाधाएं, अवरोध जानबूझ कर खड़े न किए गए होते तो शायद समाज की और अच्छी स्थिति रह होती। संघ कार्य की यह सारी प्रगति, कार्यविस्तार अपने कर्मठ स्वयंसेवकों के बलबूते पर कर पाया है। स्वयंसेवकों द्वारा समपर्ण भाव से संघकार्य करते रहना ही संघ की ताकत है।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का उद्देश्य क्या है ? संघ किस तरह की राष्ट्र की परिकल्पना करता है ?
- भारतीय अवधारणाओं के आधार पर अपना भारत दुनिया में श्रेष्ठतम स्थान प्राप्त करे यह संघ का एक मात्र उद्देश्य है। वह आर्थिक दृष्टि से संपन्न एवं स्वावलंबी बने, सामरिक दृष्टि से संपूर्ण विश्व में अजेय बने, सभी प्रकार के ज्ञान का (भौतिक तथा अध्यात्मिक) एक अच्छा केंद्र बने जहां दुनिया भर से लोग जीवन जीने का सलीका सीखने के लिए आएं और जीवन का अध्यात्म आधारित (स्पिरिचुअल) एकात्म एवं सर्वांगीण दृष्टिकोण जो भारत में हजारों वर्षों से विकसित हुआ है, जो भाषा, प्रान्त, मजहब, संपन्न, अमीर-गरीब, ग्रामीण, शहरी, वनवासी आदि के भेदों से ऊपर उठकर हम सभी को एक सूत्र में जोड़ता है, वह समाज जीवन के हर क्षेत्र में चरितार्थ होता हुआ प्रत्यक्ष आचरण में दिखाई दे। ऐसा समतायुक्त, शोषणमुक्त, निर्दोष, समरस, संगठित समाज निर्माण करते हुए यह लक्ष्य प्राप्त होगा। ऐसे ही समाज के निर्माण कार्य में संघ लगा हुआ है।

विपक्षी राजनैतिक दल शैक्षणिक व सांस्कृतिक प्रतिष्ठानों में वैचारिक फैलाव के बहाने संघ कार्यकर्ताओं की घुसपैठ का आरोप लगाते रहते हैं। इस पर आप क्या कहेंगे ?
- यह केवल उनकी राजनीति है। अब भारत के शैक्षिक व सांस्कृतिक प्रतिष्ठानों में भारत का, इस धरती का अध्यात्म आधारित एकात्म एवं सर्वांगीण विचार नहीं दिखेगा तो क्या विदेशा का पश्चिम का विचार दिखेगा? भारत के शैक्षिक एवं सांस्कृतिक जगत में स्वतंत्रता के बाद भी जो पश्चिमी या अभारतीय विचारों का प्रभाव दिख रहा है। यदि वहां भारतीय विचार को प्रतिष्ठित करने का प्रयास किया जाए तो इसे घुसपैठ कैसे कह सकते हैं। यदि कोई प्रयास किए जाते हैं तो वह एक प्रकार से औपनिवेशिक व्यवस्था का तोडऩे का उपक्रम है।

अपने त्यागी और समर्पित कार्यकर्ताओं के बल पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने समाज और देश में सेवाभावी संगठन के रूप में एक प्रभावी भूमिका निभाई है लेकिन राजनीतिक लोगों और मीडिया के कुछ समूहों द्वारा संघ की अलोचना की जाती है। इस पर आपका क्या कहना है ?
- बेबुनियाद एवं झूठे आरोपों के बीच ही संघ पला है बढ़ा है। कार्यकर्ताओं की लगन, निष्ठा, परिश्रम एवं त्याग के बल पर संघ अनेक विरोध, अवरोधों को पार करता हुआ लगातार बढ़ रहा है, उस का विस्तार और समाज में प्रभाव भी बढ़ रहा है। मीडिया ने भी पहले संघ के साथ थोड़ा अन्याय किया। संघ के ऊपर किए गए बेबुनियाद अरोपों को तो मीडिया प्रसिद्धि देता रहा है लेकिन संघ के किसी अधिकारी या सरसंघचालक ने उसका उत्तर अपने भाषण में दिया तो उसे प्रसिद्धि नहीं मिलती थी बल्कि भाषण के अंश को तोड़-मरोड़कर समाज के सामने प्रस्तुत किया जाता था। लेकिन अब परिस्थितियां कुछ बदली हैं और संघ का विचार भी समाज तक पहुंचाने के लिए मीडिया अनुकूलता दिखा रहा है। यह संघ के समाज में बढ़ते हुए प्रभाव का ही परिणाम है।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने देश की राजनीति में उपराष्ट्रपति से लेकर प्रधानमंत्री और कई राज्यों के मुख्यमंत्री दिए हैं। क्या इस कारण विपक्षी राजनीतिक दल बार—बार संघ को घेरने की कोशिश करते हैं ?
- संघ के स्वयंसेवक राजनीति में प्रभावी भूमिका में नहीं थे तब भी संघ का विरोध ये लोग करते ही रहते थे। उनके विरोध के बावजूद संघ कार्य तथा संघ का समाज जीवन में प्रभाव बढ़ता गया तो विपक्षी राजनीतिक दलों द्वारा संघ का बेबुनियाद विरोध और तीव्र होता गया। वे संघ का नाम बार बार अकारण उछालते रहते हैं। हर विषय में बिना कारण संघ का नाम घसीटना यह उनकी निराशा का ही प्रतीक है।

विपक्षी दल आरोप लगाते हैं कि संघ आरक्षण को खत्म करना चाहता है, इस विषय पर आपका क्या कहना है ?
- आरक्षण के बारे में संघ ने समय - समय पर प्रस्ताव पारित कर अपनी भूमिका कई बार स्पष्ट की है। संघ का मानना है की हिन्दू समाज में दुर्भाग्य से प्रचलित जिस जाति आधारित भेदभाव पूर्ण व्यवहार के चलते अपने ही समाज का एक वर्ग पिछड़ गया है उसे सब के साथ आगे आने लिए आरक्षण की सुविधा आवश्यक है। अपने समाज में यह जाति आधारित भेदभाव का व्यवहार जब तक चलता रहेगा तब तक आरक्षण की आवश्यकता रहेगी। समाज के सभी वर्गों ने मिलकर यह जाति आधारित भेदभाव के व्यवहार को ही समाप्त करना चाहिए, कारण सभी एक ही मां के पुत्र होने के नाते, भाई-भाई समान है।

भाजपा सरकार के दो वर्ष के कार्यकाल को लेकर आपका क्या मत है । क्या आपको लगता कि भाजपा देशवासियों की अपेक्षाओं पर खरी उतर रही है ?
- भारत में आजादी के बाद करीब छ: दशकों तक एक ही विचार धरा के लोगों की सत्ता रही है। पहली बार अपने बलबूते पर एक राष्ट्रीय विचार की सरकार केंद्र में आई है। ऐसे में लोगों की अपेक्षाएं ज्यादा हैं और वह स्वाभाविक भी है। मुझे लगता है कि इस पृष्ठभूमि पर वर्तमान समय में मूल्यांकन करने के लिए दो वर्ष का कालखंड बहुत कम है।

राहुल गांधी ने संघ पर महात्मा गांधी की हत्या करने का आरोप लगाया था। बाद में कोर्ट में वह साफ मुकर गए। उन्होंने कहा कि संघ पर नहीं संघ से जुड़े लोगों ने उनकी हत्या की थी। आपको नहीं लगता कि इस तरह के बयान देकर बेकार का विवाद पैदा करने की कोशिश की जाती है ?
- शायद उनकी यह राजनैतिक मजबूरी हो सकती है। उनका सत्य से कोई लेना देना तो है नहीं। भारत की न्याय प्रक्रिया पर भी उनका भरोसा नहीं है ऐसा उनका आचरण है। भारत की न्याय प्रक्रिया द्वारा सर्वोच्च अदालत में गुनहगार साबित हुए आतंकवादियों का गौरवगान करने वाले, भारत की बर्बादी, देश के टुकड़े करने की बात करने वालों के समर्थन वे वह निसंकोच खड़े दिखाई देते हैं और भारत की न्याय प्रक्रिया द्वारा अनेक स्तर पर निर्दोष स्थापित हुए संघ के खिलाफ मनगढं़त झूठे आरोप लगाते रहते हैं।

संघ विचारधारा से प्रेरित मुस्लिम राष्ट्रीय मंच जिस तरह इंद्रेश जी के मार्गदर्शन में अपनी गतिविधियों को अंजाम दे रहा है। क्या इसके कुछ सकारात्मक परिणाम दिखाई देते हैं ?
- मुस्लिम राष्ट्रीय मंच, मुसलमानों के द्वारा मुसलमानों के बीच में राष्ट्रीय विचारों के आधार पर चलने वाला एक मंच है. उनकी प्रेरणा भी अपना यह प्राचीन राष्ट्र ही है। राष्ट्रीय विचार से चलने वाले हर अच्छे कार्य में संघ सहयोग रहता ही है। वैसा ही इन को भी है। यह स्वतंत्र मंच है। उसके क्या परिणाम है यह वह ही अच्छी तरह बता सकेंगे।