जातिगत आधार पर आरक्षण सही
   

संघ का मानना है कि सैकड़ों वर्षों से भारत में कुछ जातियों के साथ भेदभाव का व्यवहार हुआ और उन्हें शिक्षा, सुविधाओं, सामाजिक सम्मान से वंचित रखा गया जिस वजह से वे पिछड़े रहे हैं। उन्हें सब के साथ लाने के लिए आरक्षण का प्रावधान संविधान में है। जब तक यह भेदभाव का व्यवहार रहेगा तब तक आरक्षण भी रहेगा। क्योंकि सामाजिक भेदभाव का व्यवहार जाति के कारण था, इसलिए आरक्षण का आधार भी जाति ही रहना चाहिए, आर्थिक नहीं। आर्थिक तौर से पिछड़े वर्ग को सरकार अन्य सुविधाएं और सहायता जरूर दे सकती है। आरक्षण सहित दूसरे मसलों पर संघ के प्रचार प्रमुख मनमोहन वैद्य से बात की पूनम पाण्डे ने :

क्या युवा वर्ग भी संघ के साथ जुड़ रहा है ?

बड़ी संख्या में युवा संघ के साथ जुड़ रहे हैं। हमने 2012 में संघ की वेबसाइट पर ऑनलाइन 'जॉइन आरएसएस' प्रावधान शुरू किया था। इसके जरिए काफी बड़ी संख्या में युवा संघ से जुड़ने की इच्छा जता रहे हैं। 2012 में हर महीने एवरेज 1000 रिक्वेस्ट आती थी। 2013 में हर महीने यह रिक्वेस्ट बढ़कर 2500 हो गई और 2014 में यह 7000 तक पहुंच गई। अब भी हर महीने एवरेज 7000 से ज्यादा रिक्वेस्ट ऑनलाइन आ रही हैं।

क्या संघ बीजेपी की गाइडिंग फोर्स है ?

नहीं। बीजेपी कि अपनी विचारधारा है। उसकी प्रेरणा संघविचार ही है लेकिन वह स्वतंत्र संगठन है।

तो संघ की समन्वय मीटिंग में पीएम से लेकर मंत्री तक आते हैं, इस पर सवाल भी उठते हैं ?

विविध क्षेत्र में संघ के स्वयंसेवक काम कर रहे हैं वह साल में दो बार मिलते हैं। अपने अपने अनुभव शेयर करते हैं। यह निर्णय करने वाली मीटिंग नहीं होती। मोदी जी स्वयंसेवक के नाते पहले भी ऐसी मीटिंग में आते थे। इसके पहले के स्वयंसेवक प्रधानमंत्री भी ऐसी समन्वय बैठक में आए हैं। जो भी आते हैं वह स्वयंसेवक के नाते आते हैं। सरकार के द्वारा क्या काम चल रहा है, वे बताना चाहते है। यह तो वे पब्लिक को भी बताते हैं, वही यहां मीटिंग में भी बताते हैं। संघ का मानना है कि साथ मिलकर चर्चा करने से ज्ञान वृद्धि होती है अनुभव बढ़ता है। उसमें क्या दिक्कत है।

आरक्षण को लेकर क्या राय है, कब तक चलेगा ऐसे ?

सैकड़ों वर्षों से भारत में कुछ जातियों के साथ भेदभाव हुआ। जब तक यह भेदभाव रहेगा तब तक आरक्षण भी रहेगा। लेकिन भेदभाव खत्म हो उसके लिए प्रयास होना चाहिए। अभी आरक्षण का फायदा कमजोर वर्ग में जो अधिक मजबूत है उसे मिल रहा है, जो कमजोर में भी कमजोर है उसे फायदा नहीं मिल रहा। इसका राजनीतिकरण ज्यादा हुआ है। इसलिए नॉन पॉलिटिकल लोगों को मिलाकर एक कमिटी बनानी चाहिए जो यह रिव्यू करे कि जिन लोगों के लिए आरक्षण की व्यवस्था की गई थी उन्हें आजादी के 67 साल बाद भी इसका फायदा क्यों नहीं मिला और इसके लिए योजना बने कि वह उन तक जल्द से जल्द पहुंचे। आरक्षण एक बैसाखी है लेकिन अभी जरूरी है। लेकिन जब ठीक समाज खड़ा हो जाएगा एक समान होगा, समरस तब शायद इसकी जरूरत नहीं होगी।

एजुकेशन सिस्टम में संघ क्या बदलाव चाहता है ?

अब तक की केंद्र सरकार ने शिक्षा के संबंध में जितने आयोग गठित किए हैं उन आयोगों ने जो सुझाव दिए हैं वह लागू करें तो भी काफी है। सभी ने नैतिक शिक्षा का आग्रह रखा है, हम भी यही चाहते हैं। भारत की शिक्षा आधुनिकता से साथ भारतीय भी हो, अलग से कुछ नहीं कह रहे हैं। शिक्षा का उद्देश्य और लक्ष्य कन्टेन्ट पर ही विचार होना चाहिए, सिर्फ धन कमाने वाली शिक्षा नहीं बल्कि जीवन जीने की दिशा देने वाली शिक्षा होनी चाहिए, यह मुख्य बात है।

संघ परिवार से जुड़े कुछ लोगों ने बयान दिए कि हिंदुओं को ज्यादा बच्चे पैदा करने चाहिए, संघ का क्या मानना है ?

संघ ने ऐसा कभी कुछ नहीं कहा। संघ प्रमुख ने अपने बयान में कहा है कि एक नैशनल पॉपुलेशन पॉलिसी बननी चाहिए। 50 साल के बाद जो लोग रहेंगे उनके लिए जरूरी नैचुरल रिसोर्स भी हमारे पास रहने चाहिए। आगे जाकर जवान लोग भी काम करने के लिए होने चाहिए। इसको ध्यान में रखकर एक नैशनल पॉपुलेशन पॉलिसी होनी चाहिए जो सब पर लागू हो। बच्चे कितने पैदा करने चाहिए यह परिवार का निजी विषय होता है।

जिस देश में गरीबी है, बेरोजगारी है वहां क्या पॉपुलेशन असंतुलन इतना बड़ा इश्यू है ?

विभाजन क्यों हुआ भारत का....पॉपुलेशन इंबैलेंस था इसीलिए ना/ इतनी बड़ी घटना, विभाजन कि विभीषिका हमने देखी है| क्या उस पर विचार नहीं करना चाहिए ? सभी देश इस विषय में जागृत और सतर्क हैं। विभाजन कोई नहीं चाहता था। कांग्रेस भी नहीं चाहती थी। फिर भी विभाजन क्यों हुआ? उसका क्या आधार था? विभाजन से फायदा तो किसी को भी नहीं हुआ, फिर भी विभाजन हुआ। अगर हम इतिहास से सीखेंगे नहीं तो क्या होगा...सीखना चाहिए।

 

Interview On The Website: http://epaper.navbharattimes.com/details/21453-61545-1.html